इस सिद्धांत का प्रतिपादन प्रकार सिद्धांत से भिन्न भिन्न एवं विषम है । शीलगुण सिद्धांत के अनुसार व्यक्तित्व की संरचना भिन्न-भिन्न प्रकार के सिर गुणों से ठीक वैसी ही बनी होती है। जैसे एक मकान की संरचना छोटे-छोटे मीट से बनी होती है शीलगुण से समान अर्थ होता है कि व्यक्ति के व्यवहारों का वर्णन व्यवहार के किसी भी वर्णन को तेलुगु कहां लाने के लिए यह आवश्यक है कि उसमें संगति ( Consistency ) का अध्ययन हो ।
उदाहरण के तौर पर यदि कोई व्यक्ति हर तरह की परिस्थितियों में ईमानदारी का गुण दिखाता है तो हम कह सकते हैं कि उसके व्यवहार में संगति है तथा उसमें ईमानदारी का शीलगुण है ।
परंतु जब वह कुछ परिस्थिति में ईमानदारी दिखाया है तथा कुछ में नहीं तो यह नहीं यह नहीं कहा जा सकता है कि इस व्यक्ति में ईमानदारी का शीलगुण है यह थोड़ी देर के लिए कहा जा सकता है कि इसमें ईमानदारी दिखाने की आदत है जिसे वह कभी दिखाता है तो भी नहीं ।
इस तरह हम कह सकते हैं कि व्यक्ति के व्यवहारों में पूर्ण संगति को शील गुण तथा कम संगति को आदत कहा जाता है
शीलगुण सिद्धांत के अनुसार व्यक्ति का व्यवहार व्यक्तित्व के किसी प्रकार ( Type ) द्वारा नियंत्रित नहीं होता है बल्कि भिन्न भिन्न प्रकार के सील गुणों के द्वारा नियंत्रित होता है जो प्रत्येक व्यक्ति में मौजूद रहता है ।
इस तरह शीलगुण सिद्धांत व्यक्तित्व की मूल इकाई ( Conditional poird ) को अलग करके उसके आधार पर व्यक्ति के व्यवहार की व्याख्या करता है ।
शीलगुण सिद्धांत में मूल रूप से दो मनोवैज्ञानिकों के विचारों का उल्लेख किया जाता है .।
- आलपोर्ट का शीलगुण सिद्धान्त
- कैटल का शीलगुण सिद्धान्त
आलपोर्ट का योगदान :-
ऑल फोर्ट का नाम शीलगुण सिद्धांत के साथ गहरे रूप से जुड़ा हुआ है यही कारण है कि ऑल फोर्ट द्वारा प्रतिपादित व्यक्तित्व के सिद्धांत को आलपोर्ट का शीलगुण सिद्धांत भी कहते हैं ।
आलपोर्ट का योगदान दो प्रकार से दिया गया है ।
- सामान्य शीलगुण ( Common Trait )
- व्यक्तिगत शीलगुण ( Personal trait )
सामान्य शीलगुण
सामान्य शील गुण से तात्पर्य वैसे शील गुणों से होता है , जो किसी समाज या संस्कृति के अधिकतर लोगों में पाया जाता है । सामान्य शीलगुण ऐसे शील है , जिसके आधार पर किसी समाज या संस्कृति के अधिकतर लोगों की तुलना आपस में की जा सकती है ।
उदाहरण के तौर पर प्रभुत्व या बंधुत्व / भाई चारा की माप पर जब मोहन का यह शील गुण 70 % व्यक्तियों में प्रभुत्व या बन्धुत्व का गुण मोहन की तुलना में कम है ।
अतः प्रभुत्व के शील गुण के आधार पर मोहन की तुलना अन्य व्यक्तियों से की जा रही है ।
प्रभुत्व या बन्धुत्व सामान्य शील गुण के उदाहरण है ।
#02 व्यक्तिगत शील गुण :-
आलपोर्ट के अनुसार व्यक्तिगत शीलगुण एक दूसरा महत्वपूर्ण शीलगुण है जिसे उन्होंने व्यक्तिगत प्रवृत्ति करना अधिक उचित ठहराया है आलपोर्ट का विचार है कि व्यक्तिगत प्रवृत्ति अधिक विवरणात्मक होती है तथा इससे संभ्राति भी कम होता है ।
व्यक्तिगत प्रवृत्ति से तात्पर्य वैसे शील गुणों से होता है जो किसी समाज या संस्कृति के व्यक्ति विशेष तक ही सीमित होता है । अर्थात उस समाज के सभी व्यक्तियों में नहीं पाया जाता है । यही कारण है कि इस तरह के शीलगुण के आधार पर व्यक्तियों के बीच तुलना नहीं हो सकती परंतु एक व्यक्ति का तुलनात्मक अध्ययन अलग-अलग पहलुओं पर हो पाता है ।
उदाहरण के तौर पर यदि हम कहें कि श्याम सक्रिय कम परंतु निष्क्रिय ज्यादा है तो यह व्यक्तिगत शीलगुण या प्रवृत्ति का उदाहरण है
कैटल का योगदान ( Contribution of Cartel )
शीलगुण सिद्धांत में अल्फ्रेड के बाद कैटल का नाम अधिक महत्वपूर्ण माना गया है इन्होंने शीलगुण सिद्धांत में अपना विशेष योगदान करके इस सिद्धांत को व्यक्तित्व की व्याख्या करने में काफी प्रबल बनाया है ।
कैटल ने सील गुणों को कई ढंग से विभाजित कर अध्ययन किया । उनका मशहूर वर्गीकरण हुआ है जिसमें उन्होंने व्यक्तित्व के सील गुणों को सतही शीलगुण और मूल शीलगुण के रूप में विभाजित किया है ।
सतही शीलगुण :– जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है इस तरह का शीलगुण व्यक्तित्व के ऊपरी सतह या परिधि पर होता है । यानी इस तरह के शीलगुण ऐसे होते हैं जो व्यक्ति के दिन प्रतिदिन की अन्तः क्रिया में आसानी से अभिव्यक्त हो जाता है । इसकी अभिव्यक्ति इतनी स्पष्ट होती है कि संबंधित शीलगुण के बारे में व्यक्ति में कोई दो मत नहीं हो सकता है ।
उदाहरण :- प्रसंता परोपकारिता सत्य निष्ठा कुछ शील गुण है जो सत्य ही शीलगुण के उदाहरण है जिसकी अभिव्यक्ति व्यक्ति के दिन प्रतिदिन की अंतः क्रिया में स्पष्ट होती है ।
मूल शीलगुण
कैटल के अनुसार मूल शीलगुण व्यक्तित्व का अधिक महत्वपूर्ण संरचना है इसकी संख्या साथ ही शीलगुण की अपेक्षा कम होती है मूल शीलगुण सतही शीलगुण के सामान्य व्यक्ति के दिन प्रतिदिन की अंतः क्रिया में स्पष्ट रूप से व्यक्त नहीं पाता है। अतः इसका परीक्षण सीधे नहीं किया जा सकता है।
कैटल के अनुसार मूल शीलगुण व्यक्ति की भीतरी संरचना होती है । जिसके बारे में हमें ज्ञान तब होता है जब हम उससे संबंधित सतही शीलगुण को एक साथ मिलाने की कोशिश करते हैं ।
उदाहरण के तौर पर सामुदायिकता निस्वार्थ हास्य इन तीनों ऐसे सतही शीलगुण हैं । जिन्हें एक साथ मिलने से एक नया शीलगुण बनता है । जिसे मित्रता की संज्ञा दी जाती है ।
इस उदाहरण से यह भी स्पष्ट है कि मूल से उनकी अभिव्यक्ति होती ही शीलगुण के रूप में ही होती है इसीलिए कैटल ने सतहीश शीलगुण को शीलगुण सूचक भी कहा है ।
अतः इसका परीक्षण सीधे नहीं किया जा सकता है