व्यक्ति की मापन से तात्पर्य व्यक्ति की सील गुणों के बारे में पता लगा कर यह निश्चित करना होता है कि कहां तक संगठित है या विसंगठित है ।
किसी भी व्यक्ति के भिन्न-भिन्न शीलगुण जब आपस में संगठित होते हैं तो इससे व्यक्ति का व्यवहार समान्य होता है परंतु उसके शीलगुण भी विसंगठित होते हैं तो व्यक्ति का व्यवहार और असामान्य हो जाता है।
व्यक्तित्व मापन के सैद्धांतिक तथा व्यवहारिक उद्देश्य है ।
सैद्धांतिक उद्देश्य के अंतर्गत मनोवैज्ञानिकों के अनुसार व्यक्तित्व को मापन से व्यक्तित्व का विकास तथा उसके स्वरूप से संबंधित बहुत से ज्ञान प्राप्त होते हैं । जिससे इस क्षेत्र में शोध करने तथा नए नए सिद्धांतों का प्रतिपादन करने में मदद मिलती है ।
व्यावहारिक उद्देश्य के अंतर्गत उदाहरण के तौर पर व्यक्ति मापन से यह पता चलता है कि व्यक्तित्व के कौन-कौन से शीलगुण की शक्ति कितनी है और किस शीलगुण की कमी से व्यक्ति को समायोजन करने में दिक्कत हो रही है। ।
अतः व्यक्तित्व मापन करके ऐसे व्यक्तियों को जिन्हें समायोजन में व्यक्तिगत कठिनाइयां है उन कठिनाइयों को दूर करने में मदद की जाती है ।
व्यक्तित्व मापन का दूसरा प्रयोग अनुप्रयोग नेता का चयन उत्तरदायित्व पदों के लिए सही व्यक्तियों का चयन करने से है
मनोवैज्ञानिकों ने व्यक्तित्व मापन की बहुत सी विधि आर्टिस्ट का प्रतिपादन किया है । इन प्रमुख विधि या परीक्षण को मनोवैज्ञानिकों ने तीन भागों में बांटकर अध्ययन किया है
- व्यक्तित्व आविष्कारका
- प्रक्षेपण विधि
- प्रेक्षण विधि
व्यक्तित्व अविष्कारका
व्यक्तित्व मापन की यह विधि काफी प्रचलित विधि है ।इस विधि में व्यक्तित्व संबंधित खास खास शीलगुण से संबंधित कुछ प्रश्न बने होते हैं । जिनका उत्तर प्रायः हाँ – नहीं या सही – गलत इत्यादि में दिया रहता है । व्यक्ति इन प्रश्नों को एक-एक करके पड़ता है उनका उत्तर चुनकर देता है उदाहरण के तौर पर
- क्या आपको अनित्रा की शिकायत है ?
- क्या आपको बिना किसी कारण के ही चिंतित रहते हैं ?
- क्या आपको माता पिता से प्यार मिलता है ?
एक ही प्रश्न का सही एवं उचित उत्तर अलग-अलग व्यक्तियों के लिए अलग अलग हो सकता है । इस तरह के अविष्कार इता के प्रत्येक प्रश्न को व्यक्ति स्वयं पढता है । अपने बारे में एक रिपोर्ट देता है इसी कारण इसे आत में रिपोर्ट आविष्कारिका करते हैं ।
इस तरह की आविष्कारिका को मनोवृति परीक्षण भी कहा जाता है क्योंकि ऐसे परीक्षण कराया परीक्षण निर्माण की सभी आवश्यकताओं को वैज्ञानिक ढंग से पूर्ण करता है ।
इसीलिए कुछ मनोवैज्ञानिक इसे पेपर पेंसिल परीक्षण या टेस्ट कहते हैं ।
NOTE. :-. इस व्यक्तित्व आविष्कारका का वैज्ञानिक प्रयोग प्रथम विश्व युद्ध के समय प्रारंभ हुआ क्योंकि इस युद्ध में वैसे सैनिकों को झाटने की तीव्र महसूस की गई जो सामूहिक रूप से अस्थिर थे ।
कुछ मनोवैज्ञानिक व्यक्तित्व रोजगारी का मैं महत्वपूर्ण चर्चा किया किया है जो इस प्रकार है
प्रक्षेपण विधि
इस विधि द्वारा व्यक्तित्व की मापन परोक्ष रूप से होती है इस परीक्षण में व्यक्ति के सामने स्पष्ट और और संगठित दीपक या परिस्थिति दिया जाता है ।
ऐसे दीपक किया परिस्थितियों के प्रति व्यक्ति अनुक्रिया करता है इन नौकरियों के सहारे व्यक्ति अपनी इच्छा त्रुट एवं मानसिक संघर्ष को प्रक्षेपित करता है ।
इस तरह हम कर सकते हैं कि प्रक्षेपण परीक्षण में एकांश ( items ) स्पष्ट एवं असंगठित होता है । जिसके प्रति अनुक्रिया करके व्यक्ति अपने विनविन प्रकार के शीलगुण की अभिव्यक्त करता है ।
रोर्शख परीक्षण
प्रक्षेपण परीक्षण में सबसे प्रचलित प्रमुख परीक्षण भरोसा एक क्वेश्चन है जिसका प्रतिपादन स्विट्जरलैंड के मनोविज्ञान एहर्माण अनुसार 1921 में किया इस परीक्षण में 10 कार्ड होते हैं जिन पर स्याही के धब्बे समान चित्र बने होते हैं इनमें 5 कार्ड एक स्याही के धब्बे उजला काला में छपे होते हैं । बाकी 5 कार्ड पर स्याही के धब्बे के जैसा आकृति अलग-अलग रंगों में होती है । प्रत्येक कार्ड उ उस एक-एक करके उस व्यक्ति को दिया जाता है जिसका व्यक्तिगत मापन होता है