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समानुभूति किसे कहते है ?
जब हम किसी व्यक्ति को दुखी देखते हैं और उसके दुख को पूर्णता महसूस करने की कोशिश करते हैं और उसकी सहायता करने का भाव मन में रखते हैं । इसमें व्यक्ति सामने वाले के दुख को समझने के लिए दुख को उसके स्थान पर रखकर सोचता है और वह बाहरी ही नहीं बल्कि आंतरिक रूप से भी उसके दुख को महसूस करने की कोशिश करता है और उसने जो बनता है वह मदद करने की कोशिश करता है तो उसे हम समानुभूति कहते हैं ।
सहानुभूति किसे कहते है ?
जब कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को दुखी देखता है और उसके दुख को सुनने और समझने का प्रयास करता है । लेकिन दुख को उसके स्थान पर रखो उसके दुख को नहीं समझना चाहता है और उसकी सहायता करने का भाव भी मन में नहीं होता है । केवल उसके लिए कुछ शब्द बोलता है और तो ऐसा भाव सहानुभूति कहलाता है ।
सहानुभूति तथा समानुभूति की परिभाषा
जेम्स ड्रेवर के अनुसार
” दूसरे के भाव एवं संवेग ओके स्वाभाविक अभिव्यक्त पूर्ण चिन्हों को देखकर उसकी प्रकार के भाव एवं सब लोगों को अपने अनुभव करने की प्रकृति को सहानुभूति कहते हैं ।”
समानुभूति का मतलब है दूसरा जैसा महसूस कर रहा है वैसा ही महसूस करना तथा उसकी दुख को पहचान कर उसकी मदद करने की सोच रखना ।
सहानुभूति और समानुभूति में अंदर
सहानुभूति | समानुभूति |
दूसरे के दो खोया पी रहा हूं को अपने अंदर अस्तर पर महसूस करने की योग्यता को सहानुभूति कहते हैं | दूसरे के मन की स्थिति को बिल्कुल उसी की तरह से महसूस करना है |
सहानुभूति सिर्फ दूसरों के दुख और पीड़ा वाली स्थिति में व्यक्त किया जाता है यानी कि यह एक सामान्य अनुभूति है | जबकि समानुभूति एक गहरी अनुभूति है और यह दूसरे के दुख और सुख दोनों प्रकार के स्थितियों में व्यक्त किया जाता है तभी तो समानुभूति के लिए मनः स्थिति (mood ) शब्द का प्रयोग किया जाता है |
सहानुभूति एक जनरल टर्म है । इसमें परायापन का भाव बना रहती है । तभी तो जिसको हम नहीं जान रहे होते है उनके दुःखो के प्रति भी हमारे मन मे सहानुभूति का भाव आ जाता है । | समानुभूति में परायापन खत्म हो जाता है । यानि कि इसमें अपनापन का भाव होता है । उसके लिए कुछ करने का भाव होता है । उसका दुःख हमें अपना दुख लगता है और उसकी खुशी हमें अपनी खुशी लगती है । |
सहानुभूति में मदद करने वाली भावना नहीं होती है । | जबकि समानुभूति में अपनापन का भाव होता है तो मदद करने की भावना भी मन में आ जाती है । और हम करते भी है । |
सहानुभूति में आप महसूस तो कर रहे होते है । पर वो महसूस नहीं कर रहे होते है , जो सामने वाला कर रहा है । बल्कि आप वो महसूस करते है , जो उसको देखकर आपके मन मे उसको देखकर आपके मन मे आता है । | जबकि समानुभूति में चूंकि आप खुद को उसकी जगह रख कर देखते है । इसलिए आप exactly वही समझ पाते है , जो सामने वाला समझ या महसूस कर रहा होता है । |
सहानुभूति किसी और के दुर्भाग्य के लिए दया महसूस करने के बारे में है । | समानुभूति से तात्पर्य किसी अन्य व्यक्ति के कस्टो को समझने से है । |
सहानुभूति दूसरे व्यक्ति की भलाई करने के बारे में है । | समानुभूति सकारात्मक और नाकारात्मक दोनो तरह का अनुभव है |
सहानुभूति यह स्वीकार करते हुए होता है कि अन्य व्यक्ति कठिनाई से गुजर रहा है | समानुभूति में दर्द और कठिनाई को महसूस करना है जो अन्य व्यकि से गुजर रहा है । |
जैसे :- हमारे प्रधानाचार्य को जानवरों के प्रति सहानुभूति है । | जैसे :- राम गरीबों के साथ समानुभूति रखता है क्योंकि वह अपनी कम उम्र के दौरान अकेला और गरीब था। |
निष्कर्ष
ऊपर किए गए सहानुभूति और समानुभूति में अंतर को समझने से यह पता चलता है कि समानुभूति से अच्छा मां समान होती है ।लेकिन हम सहानुभूति वाले भाग को भी नकारात्मक नहीं कह सकते हैं क्योंकि अभी दूसरे व्यक्ति के दर्द को सहानुभूति देता है ।
लेकिन यह समानुभूति के समय थोड़ा कम भाव व्यक्त करता है क्योंकि समानुभूति वह होता है जो व्यक्ति सामने वाले के दर्द दुख दर्द को बिल्कुल वैसा ही महसूस करता है ।
जैसा कि उसके ऊपर बीत रहा होता है लेकिन सहानुभूति में व्यक्ति के दर्द को बिल्कुल उसी की तरह महसूस नहीं किया जाता बल्कि उस व्यक्ति के प्रति मन में दया तथा दर्द को समझने का भाव आता है । इसीलिए यह सही है कि सहानुभूति से भरकर समानुभूति है प्रभाव ज्यादा होता है सहानुभूति के अंतर्गत में ।