भारत मे पश्चिम बंगाल के सुंदरवन के बाद भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान में सबसे ज्यादा मैंग्रोव वन पाये जाते है । मैंग्रोव वन समुद्र के किनारे बसे गाँवों को तूफान और चक्रवात से बचाता है ।
लेकिन अभी की स्थिति में परिवर्तन आया है कुछ झींगे माफियाओं ने झींगे के फार्म विकसित करने के लिए मैंग्रोव वनों की बड़ी संख्या में कटाई कर दी है । जिसके कारण समुद्र के किनारे बसे गांव के लोग असुरक्षित महसूस करने लगे है । क्योंकि मैंग्रोव के वृक्ष चक्रवर्ती और तूफानों के खिलाफ प्रकृति अवरोध का कार्य करता है ।
यह dhyan उद्यान मैंग्रोव वनों , बहती जल धाराओं और वन्य जीवों के लिए प्रसिद्ध है।
यह ओडिशा राज्य के केंद्रपाड़ा जिले में स्थित है ।
1975 में इसे वन्यजीव अभ्यारण्य के रूप में अधिसूचित किया गया ।
वर्ष1998 में इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया ।
वर्ष 2002 में इसे रामसर साइट का दर्जा मिला ।
इससे होकर बहने वाली नदियों – brahmani ब्राह्मणी बितारणी धामारा और पाठशाला
इस उद्यान में बहुत सारे खरे पानी के मगरमच्छ को देखने के लिए साल भर पर्यटक आते रहते है ।
भीतरकनिका में अन्य जीव भी है जिसमे भारतीय अजगर रीसस बंदर , कोवरा , चीतल , जंगली सूअर जैसे कई और जीव है ।
यह उद्यान पक्षी प्रेमियों के लिए भी आकर्षण का प्रमुख केंद्र है ।
जीव जंतुओं के अलावा कई प्रवासी पक्षियों का निवास स्थान भी हैं। जैसे — किंगफिशर ,हॉर्नबिल , कठफोड़वा , ब्राह्मणी सीगल , टर्न इत्यादि है ।